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हाटी शब्द की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि अपनी आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी के लिए, पहले यहां के लोग (पूरे पूरे गांव के लोग)वर्ष में एक या दो बार, किसी हाट (बाजार) में समूह बनाकर जाते थे। समूह के रूप में जाने के कारण धीरे धीरे ये हाटी नाम से प्रसिद्ध हो गए। मूलत: यह कनैत ही हैं। जौनसार बावर के लोगों से इनका रोटी बेटी का संबंध है। तीन साल से अधिक समय तक मैंने इनके क्षेत्र का भ्रमण किया तथा गहन अध्यन करने के बाद हिमाचल गिरिपार का हाटी समुदाय नाम से एक पुस्तक लिखी।
गीत, कथा, कहानी, लेख आमंत्रित हैं।
गिरिपार के हाटी समुदाय के लोग तथा जौनसार बावर के लोग अपने अपने क्षेत्र से संबन्धित संस्कृति, पकवान, पहरावा, बोली, भाषा, गीत, कथा, कहानी, लेख, घरेलू उपचार, तथा अन्य विविध विषयों पर अपने लेख (हिन्दी अथवा अपनी मूल भाषा में) टाइप कराकर ब्लॉग मे प्रकाशित करने के लिए ईमेल द्वारा भेज सकते हैं। अच्छे लेखों को समय समय पर प्रुस्कृत भी किया जाएगा।
आप अपनी रचनाएँ ईमेल द्वारा अथवा इस पते पर डाक द्वारा भेज सकते हैं।
डॉo केo तोमर (लेक्चरर) गोरमेंट कॉलेज, शिलाई, जिला सिरमौर हिo प्रo
इस संबंध मे अधिक जानकारी के लिए डॉo केo तोमर (लेक्चरर) मोo नo 91+ 9805189545 से सम्पर्क करें।
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