गीत, कथा, कहानी, लेख आमंत्रित हैं।


गिरिपार के हाटी समुदाय के लोग तथा जौनसार बावर के लोग अपने अपने क्षेत्र से संबन्धित संस्कृति, पकवान, पहरावा, बोली, भाषा, गीत, कथा, कहानी, लेख, घरेलू उपचार, तथा अन्य विविध विषयों पर अपने लेख (हिन्दी अथवा अपनी मूल भाषा में) टाइप कराकर ब्लॉग मे प्रकाशित करने के लिए ईमेल द्वारा भेज सकते हैं। अच्छे लेखों को समय समय पर प्रुस्कृत भी किया जाएगा।

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डॉo केo तोमर (लेक्चरर) गोरमेंट कॉलेज, शिलाई, जिला सिरमौर हिo प्रo

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Sunday, January 22, 2012

प्रधान मंत्री को पवन बख्शी द्वारा हाटी समुदाय पर लिखी गई पुस्तक भेंट की गई.


हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरिपार छेत्र को अनुसूचित जनजाती छेत्र और हाटी जनजाति को अनुसूचित जनजाति घोषित करने के लिए हाटी समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल संसद सदस्य श्री वीरेन्द्र कश्यप के नेतृत्व में भारत के प्रधान मंत्री सरदार मनमोहन सिंह जी को मिला उन्हें सिरमौर की पहचान लोइया पहनाया. हिमाचल के वरिष्ट भाजपा नेता हाटी ठाकुर चन्द्र मोहन और जिला सिरमौर भाजपा अध्यछ हाटी बलदेव तोमर के साथ हाटी समुदाय के हाटी कुंदन सिंह, हाटी अत्तर सिंह, हाटी सुरेन्द्र सिंह वो अन्य हाटी समुदाय के लोग जनजाति वेशभूषा में प्रधान मंत्री को मिले. हाटी समुदाय के बारे में विस्तार से चर्चा हुई और पवन बख्शी द्वारा हाटी समुदाय पर लिखी गई पुस्तक प्रधान मंत्री को भेंट की गई. प्रधान मंत्री ने हाटी समुदाय की समस्यों के बारे में बहुत गंभीरता से सुना और विश्वास दिलाया की सकारात्मक विचार किया जायेगा. प्रधान मंत्री से मिलने के बाद हाटी प्रतिनिधि मंडल जनजाति मंत्री श्री दवे से भी मिला. इस भेंट के बाद हाटी समुदाय में एक नई चेतना आ गई है, प्रधानमंत्री की मिलने की गर्मजोशी और सरलता के कायल हाटी गदगद हो गए हैं. हाटी इस प्रयास के लिए वीरेन्द्र कश्यप के भी बहुत आभारी हैं .

Sunday, February 6, 2011

Book Giripar ka Hattee Samudaya


Book Giripar ka Hattee Samudaya By Pawan Bakhshi
First book about Hattee Tribes of Himachal Pardesh In Hindi Language.
Shortly Publish in English


Thursday, February 4, 2010

हमारे दर्द को जानने का प्रयास करें। HAMARE DARD KO JANNE KA PARYAS KIJIYE


जौनसार बावर को जनजाति घोषित किये जाने के बाद
हाटी समुदाय के साथ उपेक्षा क्यों

सन 1953 के भारत सरकार के अनुसूचित जनजाति सम्बन्धी कमीशन की रिपोर्ट में पन्ना २२४ पर जनजातियों के निम्नलिखित लक्षण बताय गए हैं.
जनजातियों के विषय में इस तथ्य से ही जानकारी हासिल की जाती है की वे पहाड़ों के दूर दराज इलाकों में रहते हैं,और जहाँ वे मैदानों में भी रहते हैं, वहां भी उनका जीवन अलग तथा कटा हुआ होता है. उनका अस्तित्व समाज की मुख्य धारा से अलग रहता है. जनजातियों के लोग किसी भी धरम के हो सकते हैं. उनकी जीवन शैली के आधार पर ही उन्हें अनुसूचित जनजाति में गिना जाता है. हिमाचल के गिरिपार क्षेत्र के निवासियों को हाटी कहा जाता है. ये हाटी समुदाय भी कहलाता है.

गिरिपार के यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के रूप में स्वीकार किये जाने की सभी नियम और शर्तों को पूरा करता है. जिस प्रकार उत्तरांचल का जौनसार बावर इलाका अपनी विशष्ट पहचान रखता है, क्षेत्र भी अपनी विशष्ट पहचान रखता है. सामजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और पिछ्ढ़ेपन में ये किसी प्रकार भी जौनसार बावर अलग नहीं हैं.

जो रीति रिवाज़, उत्सव, पहरावा और धरम जौनसार बावर के हैं, वही तो हाटी समुदाय के हैं. इन दोनों क्षेत्रों के लोगों में आज भी आपस में वैवाहिक सम्बन्ध होते हैं. उनका आपस में दायेचारा भायेचारा का सम्बन्ध है.

इन लोगों का आपस में रोटी बेटी का सम्बन्ध है. दोनों समुदायों में आज भी बाल विवाह तथा बहुपति प्रथा पाई जाती है.
फिर हाटी समुदाय के गिरिपार के इस क्षेत्र की उपेक्षा क्यों.
इन्हें जनजाति के रूप में स्वीकार क्यों नहीं किया जाता ?

DARD - MERE HATTEE RISHTEDARON KA